THE DEFINITIVE GUIDE TO चिराग योजना

The Definitive Guide to चिराग योजना

The Definitive Guide to चिराग योजना

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जिन स्कूलों ने फार्म छह में अपनी फीस राशि पोर्टल पर दर्शायी हो, वही मान्यता प्राप्त विद्यालय फीस प्रतिपूर्ति राशि के लिए पात्र होंगे। विद्यालयों द्वारा दाखिल होने वाले विद्यार्थियों का डाटा एमआइएस पोर्टल पर दाखिले की तिथि से दो दिन के अंदर अंदर ही अपडेट किया जाना अनिवार्य होगा।

दो प्रमुख चुनौतियां हैं: निजी स्कूलों की सीमित सीटें और प्रभावी प्रबंधन। ये चुनौतियां योजना को कार्यान्वित करने में कठिन बनाती हैं।
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इसी लिंक पर आप को क्लिक कर देना है और आवेदन फॉर्म को डाउनलोड कर लेना l

जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया की हरियाणा चिराग योजना का लाभ केवल गरीब लोगों को ही दिया जाएगा पर इसके अंतर्गत भी सरकार ने कुछ नियम बनाए हैं जैसे –

काठमाडौं विश्वविद्यालय उपकुलपति सिफारिस समिति अनिर्णयको बन्दी

अब आपको इस पीडीएफ प्रारूप के आवेदन पत्र को डाउनलोड कर लेना होगा एवं इसका प्रिंटआउट निकाल लेना होगा।

You will also find significant quantities of speakers of Urdu and Punjabi, the latter of which was recognised as the next Formal language of Haryana for presidency and administrative reasons in 2010.[36][4] Once the point out's development, Telugu was manufactured the state's "2nd language" – being taught in universities – however it wasn't the "2nd official language" for official conversation.

वेबसाइट के होमपेज पर आपको हरियाणा चिराग योजना ऑनलाइन फॉर्म के विकल्प पर क्लिक कर देना होगा। इसके बाद आपके सामने आवेदन पत्र पीडीएफ प्रारूप में खुल कर आ जायेगा। 

निजी स्कूलों में योजना के लाभार्थियों को समायोजित करने में कठिनाइयाँ हैं। राज्य सरकार को निजी स्कूलों से अधिक सीटें आरक्षित करने का प्रयास करना चाहिए।

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चिराग योजना को सफल बनाने के लिए, पारदर्शिता और जिम्मेदारी के साथ प्रबंधन और निगरानी

त्रिभुवन विश्वविद्यालयलाई समस्यारहित बनाउँदा देश सप्रिन्छ, सुशासन र समृद्धिको नयाँ युग सुरु हुन्छ

कक्षा १२ को नतिजा निस्केको ४५ दिनभित्र स्नातक तहको पठनपाठन तथा स्नातक तहको नतिजा निस्केको ४० दिनमा माथिल्लो तहको कक्षा सुरु गर्ने वातावरण बनाउनुपर्छ । तसर्थ विश्वविद्यालयले वार्षिकदेखि सेमेस्टर प्रणालीअन्तर्गतका सबै शैक्षिक कार्यक्रमका लागि तालिकासहितको क्यालेन्डर प्रकाशित गरी लागू गरेर विद्यार्थीको समय र आर्थिक पक्षलाई जोगाउनुपर्छ । विश्वविद्यालयमा प्राध्यापक, कर्मचारी र विद्यार्थीका समस्याको अनुगमन र समस्या समाधानका लागि तुरुन्तै सम्बोधन गर्न उत्तरदायी संयन्त्र स्थापना हुनु आवश्यक छ । प्रश्नपत्र निर्माणदेखि उत्तरपुस्तिका मूल्यांकनमा असम्बन्धित व्यक्तिको संलग्नतालाई हटाएर काम गराउने पदाधिकारीलाई पूरै जिम्मेवार बनाउनु आवश्यक छ ।

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